Mujhe kuch karna hai | Sandeep Maheshwari


Dear Friends, without vision Human is nothing. Recognise your strengths and just go in that direction and one day you will become Successful one day.

TO know more please must watch this video : Motivational Video by Sandeep Maheswari




असफलता से सफलता तक


In this Video We want to share that Every Success start from Failure. Without Failure nobody can become successful.But many of us become depressed due to not aware system of Success Process. 

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How to increase Self Confidence

आप में खूब काबिलियत है और आप देखने में भी स्मार्ट है पर क्या फायदा अगर आपमें आत्मविश्वास (Self-confidence) ही नहीं है ।

माना कि कभी – कभी परिस्थितियाँ ऐसी हो जाती है कि आत्मविश्वास आना मुश्किल लगता है लेकिन यह नामुमकिन जैसी चीज भी नहीं है ।
यदि आप किसी के सामने बोलने में भी सकुचाते है तो तय मानिए आप की सफलता के रास्तें में रुकावटें भी कम नहीं होंगी क्योंकि आपकी सफलता के पीछे आपके स्वयं के आत्मविश्वास का एक महत्वपूर्ण स्थान होता है । इतना ही नहीं यदि आप में आत्मविश्वास (Self-confidence) है तो सफलता (Success) अवश्य आपके कदम चूमेगी ।
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You are Special - Self Improvement Video

You are Special (Must See)



This video is specially for those friends who think that they are nothing. They can never become successful in their life.

((((( भगवान की प्लानिंग )))))


एक बार भगवान से उनका सेवक कहता है, भगवान आप एक जगह खड़े-खड़े थक गये होंगे.
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एक दिन के लिए मैं आपकी जगह मूर्ति बन कर खड़ा हो जाता हूं, आप मेरा रूप धारण कर घूम आओ.
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भगवान मान जाते हैं, लेकिन शर्त रखते हैं कि जो भी लोग प्रार्थना करने आयें, तुम बस उनकी प्रार्थना सुन लेना. कुछ बोलना नहीं.
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मैंने उन सभी के लिए प्लानिंग कर रखी है. सेवक मान जाता है.
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सबसे पहले मंदिर में बिजनेस मैन आता है और कहता है, भगवान मैंने एक नयी फैक्ट्री डाली है, उसे खूब सफल करना.
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वह माथा टेकता है, तो उसका पर्स नीचे गिर जाता है. वह बिना पर्स लिये ही चला जाता है.
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सेवक बेचैन हो जाता है. वह सोचता है कि रोक कर उसे बताये कि पर्स गिर गया, लेकिन शर्त की वजह से वह नहीं कह पाता.
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इसके बाद एक गरीब आदमी आता है और भगवान को कहता है कि घर में खाने को कुछ नहीं. भगवान मदद कर.
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तभी उसकी नजर पर्स पर पड़ती है. वह भगवान का शुक्रिया अदा करता है और पर्स लेकर चला जाता है.
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अब तीसरा व्यक्ति आता है. वह नाविक होता है.
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वह भगवान से कहता है कि मैं 15 दिनों के लिए जहाज लेकर समुद्र की यात्रा पर जा रहा हूं. यात्रा में कोई अड़चन न आये भगवान.
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तभी पीछे से बिजनेस मैन पुलिस के साथ आता है और कहता है कि मेरे बाद ये नाविक आया है.
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इसी ने मेरा पर्स चुरा लिया है. पुलिस नाविक को ले जा रही होती है कि सेवक बोल पड़ता है.
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अब पुलिस सेवक के कहने पर उस गरीब आदमी को पकड़ कर जेल में बंद कर देती है.
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रात को भगवान आते हैं, तो सेवक खुशी खुशी पूरा किस्सा बताता है.
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भगवान कहते हैं, तुमने किसी का काम बनाया नहीं, बल्कि बिगाड़ा है.
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वह व्यापारी गलत धंधे करता है. अगर उसका पर्स गिर भी गया, तो उसे फर्क नहीं पड़ता था.
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इससे उसके पाप ही कम होते, क्योंकि वह पर्स गरीब इंसान को मिला था. पर्स मिलने पर उसके बच्चे भूखों नहीं मरते.
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रही बात नाविक की, तो वह जिस यात्रा पर जा रहा था, वहां तूफान आनेवाला था.
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अगर वह जेल में रहता, तो जान बच जाती. उसकी पत्नी विधवा होने से बच जाती. तुमने सब गड़बड़ कर दी.
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कई बार हमारी लाइफ में भी ऐसी प्रॉब्लम आती है, जब हमें लगता है कि ये मेरा साथ ही क्यों हुआ.
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लेकिन इसके पीछे भगवान की प्लानिंग होती है.
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जब भी कोई प्रॉब्लमन आये. उदास मत होना.
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इस कहानी को याद करना और सोचना कि जो भी होता है, अच्छे के लिए होता है.

हुनर होता है हर किसी में

आज के समय में सामने आ रही संभावनाओं को पहचानने और अवसर का लाभ उठाने के लिए सबसे जरूरी अपने हुनर को पहचानना है। खुद को कमतर समझने की बजाय अपने हुनर को जानकर उसे तराशें, तभी आप बदलते वक्त के साथ आगे बढ़ सकेंगे। कैसे बढ़ें इस राह पर, बता रहे हैं इस आलेख में-

काउंसलिंग की प्रक्रिया के दौरान अक्सर इस तरह के पत्र और ई-मेल आते हैं, जिनका आशय होता है कि मैंने इस संकाय में व्यवसायिक कोर्स किया है, लेकिन अनुभव न होने के कारण कोई काम या नौकरी नहीं मिल रही या पिफर मैं परीक्षा में नंबर तो ज्यादा लाना चाहता हूं, पर पढ़ाई के लिए ज्यादा समय नहीं दे पाता या मन ही नहीं लगता। यह भी कि कोर्स पूरा किए एक साल हो गया, लेकिन अभी तक कोई नौकरी नहीं मिली..।

अगर ऐसे पत्र लिखने वालों की भाषा पर मनोवैज्ञानिक नजरिए से विचार करें या पिफर ऐसे लोगों के मन में झांकने का प्रयास करें तो यही लगता है कि ऐसे लोग बेशक अपनी नजरों में खुद को कमजोर पा रहे हों, लेकिन इनमें अपनी पहचान की जिजीविषा जरूर है। उनके भीतर कहीं न कहीं अपनी पहचान बनाने की बेचैनी नजर आती है। अगर ऐसा नहीं होता, तो शायद वे ज्यादा नंबर या अच्छी नौकरी पाने के लिए बेचैन नहीं होते। इनमें से अध्कितर के सपने इसलिए पूरे नहीं हो पाते, क्योंकि ज्यादातर को अपने भीतर छिपे हुनर का पता ही नहीं होता। यही कारण है कि वे अपनी अंतर्निहित प्रतिभा का लाभ उठाने से वंचित रह जाते हैं।

पहचान पाने की आकांक्षा
आलोचना किसी को भी अच्छी नहीं लगती। बुरे से बुरा व्यक्ति भी अपनी आलोचना शायद ही बर्दाश्त कर पाता है। इसका मतलब यह है कि हर किसी के भीतर जो स्वाभिमान होता है वही उनमें अपनी पहचान की इच्छा जगाता है। अगर आप किसी परीक्षा में अच्छे अंक या अच्छी नौकरी पाना चाहते हैं, तो इसका अर्थ यही है कि आपके मन में कहीं न कहीं प्रतिस्पर्ध का भी भाव है। जिस समाज में आप रह रहे हैं, उसमें दूसरों की व्यंग्यात्मक नजरों का सामना करने में आपको कहीं न कहीं तकलीपफ होती है। आप इस स्थिति से उबरना तो चाहते हैं, पर आलस्य की आदत या किसी दूसरी कमजोरी के कारण ऐसा नहीं कर पाते। यह स्थिति अध्कि समय तक जारी रहने पर व्यक्ति प्रायः निराशा के अंध्कार में डूबने लगता है।

हुनर को जानें
आप आगे निकलना चाहते हैं, घर-परिवार-समाज और इष्ट-मित्रों में अलग पहचान बनाना चाहते हैं, तो आपको सबसे पहले अपने भीतर छिपे हुनर को खोज निकालना होगा। याद रखें, इस संसार में कोई भी इंसान ऐसा नहीं है, जिसके भीतर कोई न कोई गुण न हो। इसलिए यह हीन भावना अपने भीतर से निकाल पफेंके कि आपको कुछ नहीं आता या आप पूरी तरह से नकारा हैं। दूसरों के बुरा-भला कहने की परवाह करने की बजाय इस बात की परवाह और समीक्षा करें कि आखिर वे आपको ऐसा क्यों कहते-समझते हैं? आखिर आपकी वह कौन-सी खराबी है, जो उन्हें रास नहीं आती।

दूर भगाएं कमजोरी
दूसरे आपको क्या कहते और समझते हैं, इसकी परवाह न करें। हां, जिस दिन आपकी अंतरात्मा आप पर सवाल उठाने लगे, समझ लें कि आपके जागने का समय आ गया है। बिना समय गंवाए, अपनी कमजोरियों की तलाश शुरू कर दें। इस बात का विश्लेषण करें कि आखिर वे कौन-से कारण हैं, जिनकी वजह से असपफलता मिलती रही है या पिफर आप मनोवांछित परिणाम नहीं हासिल कर पा रहे। इसके बाद एक-एक करके इन कमजोरियों को दूर भगाने की कोशिश करें।

ईमानदारी से करें प्रयास
आप दूसरों को तो धेखा दे सकते हैं, लेकिन अपने आपको कतई नहीं। इसलिए कमजोरियों को दूर करने के बाद समुचित रणनीति के साथ अपनी मंजिल की दिशा में ईमानदारी से कदम बढ़ाएं। आलस्य से दूर रहें। मन में बिठा लें कि किसी भी तरह से लक्ष्य हासिल करना है, चाहे इसके लिए कितनी भी मेहनत क्यों न करनी पड़े।

उत्साह और आत्मविश्वास
पढ़ाई या करियर में आगे बढ़ने और पहचान बनाने के लिए उमंग और उत्साह बेहद जरूरी है। आप जो भी काम कर रहे हैं, उसे पूरे उत्साह के साथ करें। उत्साह होने पर कोई भी काम मुश्किल नहीं लगेगा इसके साथ अपने आत्मविश्वास को कभी कम न होने दें। किसी भी लक्ष्य को सकारात्मक नजरिए से देखें।

चलें वक्त के साथ

आप जो भी कोर्स कर रहे हैं या विषय पढ़ रहे हैं, अगर उसमें आपका मन नहीं लग रहा तो समय रहते उसे बदल लें। अगर कापफी आगे निकल चुके हैं, जहां से वापस लौटना संभव नहीं, तो इस बात पर विचार करें कि कैसे उसी में मन लगा सकते हैं ताकि बेहतर परिणाम हासिल कर सकें। इसके अलावा, अगर काॅलेज या संस्थान इंडस्ट्री की आवश्यकता के अनुसार जरूरी प्रैक्टिकल ट्रेनिंग पर ध्यान नहीं दे रहे, तो खुद की पहल से ऐसी ट्रेनिंग हासिल करने का प्रयास करें। आखिर आपके बेहतर करियर का सवाल जो है। इसके लिए समय निकालें कंपनियों या संस्थानों में संपर्क करें। प्रायोगिक जानकारी हासिल करें। भले ही इसके एवज में शुरुआत में पैसे न मिलें। इस तरह पढ़ाई पूरी होने के साथ-साथ आप जरूरी स्किल भी हासिल कर लेंगे। काम नहीं मिल रही, तो आप अपनी पढ़ाई वाले क्षेत्रा में मार्केट या इंडस्ट्री की आवश्यकता के मुताबिक जरूरी प्रशिक्षण प्राप्त करें और खुद को लगातार अपडेट करते रहें।

अपनी खूबियों को जानें और उन्हें तराशें
आत्मविश्वास को उच्चशिखर पर रखें, ताकि किसी भी काम को उत्साह के साथ कर सकें। पढ़ाई और नौकरी के साथ-साथ अपनी कार्य क्षमता को अपडेट करते रहें, ताकि समय के साथ-साथ चलते हुए अपनी उपयोगिता साबित कर सकें।

Source : http://samacharsurbhi.com/?p=624

सफलता आपका जन्मसिद्ध अधिकार


यह संसार हार और जीत का खेल अर्थात् नाटक है और इस नाटक मेँ अगर हार जाने की सम्भावना हो तो, जीतने के लिए आपको अपने फैसले बदलते रहना चाहिए लेकिन जीतना Confirm हो तो कभी हार नहीँ मानना चाहिए।

Note-सफलता आपका जन्मसिद्ध अधिकार है

सच्चा सुख क्या है

भगवान बुध्द के दर्शन करने तथा उनके प्रवचन सुनने वालों का तांता बँधा रहता. एक भक्त ने पूछा सच्चा सुख क्या है| तथागत ने उत्तर दिया, संदेह नहीं कि मानव के जीवन मे उतार चढ़ाव आते रहते हैं, कभी सुख तो कभी दुख कभी जीवन में आदर सत्कार मिलता है तो कभी अपमान भी झेलना पड़ता है|| जो वयक्ति विपरीत स्थितियों में भी मन का संतुलन बनाए रखता है, वह सदैव सुखी रहता है भगवान ने आगे समझाते हुए कहा कि हर अवस्था में अपने मन का संतुलन बनाए रखना घोर कष्टों में भी मुस्कराने की आदत बनाए रखना ही सुख की कुंजी है अपने को संयत रखने वाला दुख में भी सुख का अनुभव करता है|

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जो आपके सामने किसी की बुराई कर सकता है तो
याद रखिए
किसी और के सामने वो आपकी भी बुराई जरुर करेगा
इसलिए किसी की बुराई ना सुने ना सुनाएँ

Motivational Quotes

अगर कोई मनुष्य जीवन की समस्या से छुटकारा पाने के लिए आत्महत्या कर भी लेता है तो अगले जन्म मेँ वह परिस्थिति उसके सामने फिर से आती है , क्योकि जीत पाने के लिए बुराई का सामना करना परम आवश्यक है।

 

आभासी दुनिया से बाहर निकलना

ईमेल, फेसबुक, ट्विटर, चैट, मोबाइल और शेयरिंग की दुनिया में यह बहुत संभव है कि आप वास्तविक दुनिया से दूर होते जाएँ. ये चीज़ें बुरी नहीं हैं लेकिन ये वास्तविक दुनिया में आमने-सामने घटित होनेवाले संपर्क का स्थान नहीं ले सकतीं. लोगों से मेलमिलाप रखने, उनके सुख-दुःख में शरीक होने से ज्यादा कनेक्टिंग और कुछ नहीं है. आप चाहे जिस विधि से लोगों से जुड़ना चाहें, आपका लक्ष्य होना चाहिए कि आप लम्बे समय के लिए जुड़ें. दोस्तों की संख्या नहीं बल्कि उनके साथ की कीमत होती है.

बोनस टिप:

हम कई अवसरों पर खुद को पीछे कर देते हैं क्योंकि हमें कुछ पता नहीं होता या हम यह नहीं जानते कि शुरुआत कहाँ से करें. ऐसे में “मैं नहीं जानता” कहने के बजाय “मैं यह जानकर रहूँगा” कहने की आदत डालें. यह टिप दिखने में आसान है पर बड़े करिश्मे कर सकती है. इसे अपनाकर आप बिजनेस में आगे रहने के लिए ज़रूरी आक्रामकता दिखा सकते हैं. आप योजनाबद्ध तरीके से अपनी किताबें छपवा सकते हैं. और यदि आप ठान ही लें तो पूरी दुनिया घूमने के लिए भी निकल सकते हैं. संकल्प लें कि आप जानकारी नहीं होने को अपनी प्रगति की राह का रोड़ा नहीं बनने देंगे.

अपने हुनर और काबिलियत को निखारें:

पेन और पेपर लें. पेपर के बीच एक लाइन खींचकर दो कॉलम बनायें. पहले कॉलम में अपने पिछले तीस दिनों के सारे गैरज़रूरी खर्चे लिखें जैसे अनावश्यक कपड़ों, शौपिंग, जंक फ़ूड, सिनेमा, मौज-मजे में खर्च की गयी रकम. हर महीने चुकाए जाने वाले ज़रूरी बिलों की रकम इसमें शामिल न करें. अब दूसरे कॉलम में उन चीज़ों के बारे में लिखें जिन्हें आप पैसे की कमी के कारण कर नहीं पा रहे हैं. शायद आप किसी वर्कशौप या कोचिंग में जाना चाहते हों या आपको एक्सरसाइज बाइक खरीदनी हो. आप पहले कॉलम में किये गए खर्चों में कटौती करके दुसरे कॉलम में शामिल चीज़ों के लिए जगह बना सकते हैं.